उत्तराखंड में अवैध मदरसों के खिलाफ अब मदरसा बोर्ड ने सख्त रुख अपनाया है। मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बुधवार को कहा कि जिन मदरसों में बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन होता है उन्हें बंद किया जाएगा।

प्रदेश में अवैध मदरसे लगातार सुर्खियों में रहते हैं और अब मदरसा बोर्ड ने इन पर कार्रवाई करने की योजना बनाई है। मुफ्ती शमून कासमी ने स्पष्ट किया कि जिन मदरसों में बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन होता है, वे सभी अवैध माने जाएंगे, चाहे वे रजिस्टर्ड हों या न हों। उन्होंने कहा कि यदि किसी मदरसे में अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो उन्हें संविधान और कानून के अनुसार काम करना होगा। मुफ्ती कासमी ने राज्य में 416 पंजीकृत मदरसों की जानकारी दी और अनुमान है कि लगभग इतने ही अपंजीकृत मदरसे भी होंगे।

उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पहली बार है जब राज्य सरकार बिना किसी भेदभाव के काम कर रही है। इस सरकार में न तो कोई धार्मिक भेदभाव है और न ही किसी विशेष समुदाय के प्रति कोई पूर्वाग्रह। सरकार का लक्ष्य सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करना है, जिसमें अनाज का वितरण, आयुष्मान योजनाएं, और कच्चे मकान से लेकर पक्के मकान तक सभी आवश्यक सुविधाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में एनसीईआरटी सिलेबस को शामिल किया गया है, ताकि गरीब से लेकर अमीर तक सभी बच्चों को शिक्षा मिल सके।

मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि यदि किसी मदरसे में कोई भी अनियमितता पाई जाती है, तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जाएगा और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

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